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शिव से जुड़ी 3 कहानियां...

पार्वती की परीक्षा -
देवी सती ने ही पार्वती के रूप में दूसरा जन्म लिया था। इस जन्म में भी शिव को पति के रूप में पाने के लिए वे कठिन तप कर रही थीं। शिव ने पहले सप्तर्षियों को परीक्षा के लिए भेजा। सप्तर्षियों ने पार्वती के पास पहुंचकर शिवजी की बहुत बुराई की, उनके दोष गिनाए, लेकिन पार्वती अपने संकल्प पर अडिग रहीं। इसके बाद महादेव खुद आए। उन्होंने पार्वती जी को वरदान दिया और अंतर्धान हो गए।

तभी एक बच्चे की आवाज सुनाई दी। पार्वती जहां तप कर रही थीं, उसी के पास मौजूद तालाब में मगरमच्छ ने एक बच्चे का पैर पकड़ रखा था। पार्वती वहां पहुंचीं और मगरमच्छ से बच्चे को छोड़ने को कहा। मगरमच्छ ने अपना नियम बताते हुए इनकार किया कि दिन के छठे पहर में जो मिलता है, उसे आहार बना लेता हूं। इस पर पार्वती ने पूछा, इसे छोड़ने के बदले क्या चाहोगे? मगरमच्छ ने कहा, अपने तप का फल मुझे दे देंगी, तो बालक को छोड़ दूंगा।

पार्वती तत्काल तैयार हो गईं, पर मगरमच्छ ने उन्हें समझाया कि वे क्यों एक बालक के लिए अपने कठिन तप का फल दे रही हैं, लेकिन पार्वती ने दान का संकल्प किया। उनके ऐसा करते ही मगर का शरीर चमकने लगा। अचानक बच्चा और मगर, दोनों गायब हो गए और उनकी जगह शिव प्रकट हुए। उन्होंने बताया कि वो परीक्षा ले रहे थे। चूंकि पार्वती ने अपने तप का फल शिव को ही दिया था, इसलिए उन्हें दोबारा तप करने की जरूरत नहीं रही।

कामदेव को भस्म किया -
शिव को कामांतक भी कहते हैं। इसके पीछे कथा है। तारकासुर ने ब्रह्माजी से दो वरदान पाए थे। पहला, तीनों लोकों में उसके समान ताकतवर कोई न हो और दूसरा, शिवपुत्र ही उसे मार सके। तारकासुर जानता था कि देवी सती के देहांत के बाद शिव समाधि में जा चुके हैं, जिससे शिवपुत्र होना असंभव था। वरदान पाकर तारकासुर ने तीनों लोकों को जीत लिया। उसके अत्याचार से परेशान होकर देवता ब्रह्माजी के पास गए।

उन्होंने देवताओं को वरदान के बारे में बताते हुए कहा कि केवल शिवपुत्र ही तारकासुर को मार सकता है, लेकिन शिवजी गहरी समाधि में हैं। हिमवान की पुत्री पार्वती शिव से विवाह के लिए तप कर रही हैं, लेकिन वे पार्वती की तरफ देखना भी नहीं चाहते, अगर महादेव पार्वती से विवाह कर पुत्र उत्पन्न करें, तभी इस दैत्य का वध संभव है।

तब इंद्र ने कामदेव से कहा कि वे जाकर शिवजी के मन में देवी पार्वती के प्रति अनुराग जगाएं। कामदेव ने पुष्पबाण ध्यानमग्न शिवजी पर चला दिया। अचानक इस विघ्न से शिवजी बेहद गुस्सा हुए और उन्होंने तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर दिया ।

इस पर कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे उसके पति का जीवन वापस लौटा दें। शिव ने शांत होकर कहा, कामदेव की देह नष्ट हुई है, लेकिन उसकी आंतरिक शक्ति नहीं। "काम' अब देह रहित होकर हर प्राणी के हृदय में रहेगा। वह कृष्णावतार के समय कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेगा। तुम फिर उसकी पत्नी बनोगी। उस समय रति ने मायावती के रूप में जन्म लिया था।

अशुभ से हुआ शुभ -
नर्मदा नदी के किनारे धर्मपुर नाम का सुंदर नगर था। उसमें विश्वानर नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुचिस्मति के साथ रहता था। दोनों शिव भक्त थे और उन्होंने पुत्र पाने के लिए उनसे वरदान मांगा कि स्वयं भगवान शिव उनके पुत्र के रूप में जन्म लें।

शिव के वरदान से उनके यहां एक पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम गृहपति था। जब बालक ग्यारह साल का था, तब देवर्षि नारद ने उसका हाथ देखकर भविष्यवाणी की कि सालभर के भीतर उसके साथ कुछ अशुभ होगा, जो आग से जुड़ा होगा। जब मां-बाप ये सुनकर दुखी हुए, तो बेटे ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा कि वे दुखी न हों, क्योंकि वह भगवान को प्रसन्न कर लेगा। इससे अनिष्ट टल जाएगा।

माता-पिता से आज्ञा लेकर वह शिव की नगरी काशी पहुंचा। वहां उसने गंगा के मणिकर्णिका घाट पर स्नान किया और पूरे साल शिवलिंग की पूजा की। जब नारद मुनि द्वारा बताया अनिष्ट समय आया, तो देवराज इंद्र ने प्रकट होकर उससे वरदान मांगने को कहा। बालक ने वरदान लेने से मना किया और कहा वो केवल भगवान शिव से ही वर प्राप्त करेगा।

ये सुनकर इंद्र बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने इस बालक को सबक सिखाने के लिए वज्र उठा लिया। बालक ने भगवान शिव से रक्षा की याचना की। तभी शिव प्रकट होकर बोले- डरो मत। मैं तुम्हारी परीक्षा लेने के लिए इंद्र के वेश में आया था। मैं तुम्हें अग्नीश्वर नाम देता हूं। तुम आग्नेय दिशा (दक्षिण-पूर्व दिशा) के रक्षक होगे। जो भी तुम्हारा भक्त होगा, उसको अग्नि, बिजली या अकाल मृत्यु का डर नहीं होगा। अग्नि को शिव का एक रूप कहते हैं। वो शिव का तीसरा नेत्र भी है।

सोर्स -
शिव पुराण, स्कंद पुराण, महाभारत,

एक्सपर्ट -
डॉ. गणेश मिश्र ( केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, पुरी),
प्रो. रामनारायण द्विवेदी ( महामंत्री, काशी विद्वत परिषद, बनारस)
डॉ. राजा पाठक ( ज्योतिष विभाग, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय, बनारस )

जी हा नमस्कार साथियों जैसा की आप सबलोग जानते है की अगले ही महीना यानि की जुलाई में सावन का पावन महीना का शुरुआत होनेवाला है।  इसबार का सावन का महीना इसलिए भी खास है क्योंकि इसबार के सावन में सोमवार की संख्या पांच रहेगी यानि के इसबार भोलेनाथ के भक्तलोग पांच सोमवारी का व्रत कर सकते है। और आपलोगों को तो ज्ञात ही होगा की सावन के आते ही त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है।  हमारा भारत देश ही एक ऐसा देश है जहाँ अनेकों पर्व और त्यौहार होती रहती है।  ें सभी पर्व और त्योहारों में दुर्गापूजा का भी अपना ही एक अलग ही खास महतव होता है। सबसे चर्चित तो बंगाल यानि की कोलकाता का दुर्गापूजा को मन गया है। 
Saket Bihari is an Indian social worker and politician his state is Bihar and comes from district Madhubani. He is allways active about social issues nowadays his many videos are going viral in support of poors. He recently became very popular in India in 2016 he contested panchaytiraj election and won again in 2021 he contested the panchayat election of panch and won afterthat he also became upsarpanch of there the same place and post.


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